हम सभी 99 के फैर मे पड़े है । आखिर कितना पैसा हमे खुशी दे सकता है ?
खुशी पैसे से नहीं आती । पैसा सिर्फ साधन है साधये नहीं। पैसे से क्षणिक खुशी खरीदी जा सकती है । और एक बार ही खरीदी जा सकती है ।
“ हजारो खहीशे ऐसी की ख़ाहिश मे दम निकले ,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले “
आज का युग मे आप के पास कितना भी पैसा हो , आप उसे खर्च कर सकते है । आज के इंटरनेट युग ने हमारी खहिशों को इतना बड़ा दिया है कि उस को पूरा करने के लिए लोग कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते है । खाने के समान मे मिलावट इस का जीता जागता नमूना है । परिवर्तन इतना अधिक तीव्र गति से हो रहा है कि कुछ ही समय मे हमे ऐसा भ्रम हो जाता है कि इस वस्तु के बिना हम जी ही नहीं पाएगे । जेसे मोबाइल फोन छूट जाए तो लगता है हम सारी दुनिया से कट गए है। मोबाइल के इंटरनेट मे हम ऐसे खो गए है कि वह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है । हमारा शरीर विलासता का इतना आदि हो गया है कि हम मशीनों के गुलाम होते जा रहे है ।
इंसानों का काम मशीने करेगी तो खुशी कहा मिलेगी । पैसा जोड़ने से सिर्फ असुरक्षा का भाव कम होता है । लगता है जरूरत के समय पास का धन काम आ जाएगा । आसानी या गलत तरीके से कमाया गया पैसा दुख ही देता है । उस के जाने का खतरा बना ही रहता है ।
पैसा और खुशी एक साथ तभी मिलती है जब पैसा कर्म से कमाया हो और समझदारी से खर्च किया जाए । इस लिए हम लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी को पूजते है ।
पैसा और खुशी के लिए इन नियमो का पालन करे –
• धन का अभिमान न करे ।
• माता-पिता का सम्मान करे व उने प्यार दे ।
• अपने पर आश्रित व्यक्ति व जानवरो को विदा करने से पहले उनकी सारी जरूरते पूरी करे ।
• घर मे तुलसी का पोधा रखे ।
• जिस दिन पैसा आए, उसी दिन खर्च न करे ।
• घर व काम के स्थान को साफ रखे जाले न लाग्ने दे ।
• पानी य नल टपकता न रहे ।
• घर के सामने धोबी व नाई न बैठने दे ।
• घर से पहली रोटी गाये की व आखिरी कुत्ते की निकले ।
अपने मालिक का शुक्रिया अदा करते रहे । उस ने देने मे कभी इक पल की देरी नहीं की बस हमारी झोली ही कमजोर थी । जैसे एक बार किसी पर लक्ष्मी जी खुश हो जाती है उस से कहती की झोली फैला बस नीचे नहीं गिरनी चाहिए और सोने के सिक्के देना शुरू कर देती है , परंतु कुछ ही क्षण मे रुक जाती है याचक कहता माँ और दो , लक्ष्मी जी कहती है की तुम्हारी झोली कमजोर है और दिया तो नीचे गिर कर सारी लुप्त हो जाएगी, पर वो न माना बोला माँ बस थोड़ी सी और दे दो । माँ ने जैसे ही एक और सिक्का दिया झोली फट गई , सभी सिक्के व माँ लुप्त हो गई ।
हमे मालिक ने जो दिया है उस से अधिक चाहिए तो झोली { अपनी पचाने की शक्ति } मजबूत करो । आप की जरूरत से अधिक सब कुछ आप के लिए जहर है ।

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